मेरी बारिश, छ सौ साठ रुपए महंगी
प्याज- बेसन के पकोड़े, चाय, फार्महाउस, बॉलीवुड सॉंग और विनय. बारिश के इस मौसम में सुबह से मेरे मन में बस यही सारी चीजे घूमती हैं. मेरी तरह आपको भी ऐसा ही लगता होगा. हां कुछ की पसंद अलग हो सकती है. आज ज़ोर की बारिश भी हो रही थी. मैं बस तैयार ही थी. हमारी पहले ही बात हो चुकी थी की जाना कहां है. मुझे फोन आया मैंने बालकनी से देखा तो नीचे कार खड़ी थी. मैं नीचे आई अंदर बैठी और हम चल दिए. कार की खिड़की बंद थी, उस पर लगातार पानी की बूंदें पड़ रही थी. मैंने बारिश की फोटो क्लिक कर अपनी इन्स्टाग्राम स्टोरी बना दी. कार में गाना चल रहा था, रिमझिम गिरे सावन…. मैंने आँखें बंद कर ली और गुनगुनाते हुए कहीं खो गयी थी.
बारिश तेज होती जा रही थी. विनय और मैं शहर से बाहर निकल चुके थे. जरा सोचिए मई, जून की तपती हुई गर्मी जिसमें शाम को 6 बजे भी घर से बाहर निकलने में पसीने छूटते थे, उन सब को भूल जुलाई का मानसून सीजन जैसे जन्नत का एहसास कराता हो. सुबह से ग्रे कलर के बादल, हल्की बारिश के साथ तेज ठंडी हवा. आज बिलकुल वैसा ही लग रहा था जैसा मैं सोचा करती थी.
चारों तरफ हरियाली और उसके बीच दूर एक ढाबा. उसमें बाहर बैठने का बहुत अच्छा इंतजाम था. कार रुकी मैं नीचे उतरने ही वाली थी कि विनय की आवाज़ आई.. ध्यान से वहां पानी है फिसल न जाना कहीं तुम…. पता नहीं लड़कियों को हील क्यों पहननी होता है? मैं अपनी 5 फीट इंच संभाल कर ढाबे पर पहुंच गयी थी. चाय लोगी या कॉफी? विनय ने मुझसे पूछा. मैंने जवाब दिया की यार! ये तो कोई बच्चा भी बता देगा की बारिश के मौसम में चाय ही अच्छी लगती है. विनय कभी तो दिल से सोचा करो. विनय पहले तो इधर-उधर देखने लगा फिर उसने आवाज लगाई कि सुनो दो कप चाय और एक प्लेट मैगी लाना.
ढाबे का लोकेशन देख सच में बहुत अच्छा लग रहा था. रास्ता हाईवे से अंदर की तरफ गया था. आसपास सिर्फ पेड़, विनय और मेरी चाय. मैगी आ गयी थी. हम मैगी के मजे ही ले रहे थे कि बादल ग्रे से काले हो गए. मेरा विनय के साथ भीगने का मन था. उसको बारिश में बुलाना बहुत मुश्किल था. कोई नहीं! यहाँ मेरी इंच-5 ने काम कर दिखाया. मैंने ढाबे से बाहर निकल फिसलने का नाटक किया ही था की विनय ने भाग कर मुझे संभाल लिया.
मैॆ जोर से हसने लगी. विनय ने मुझे तेज़ आवाज में कहा कि ये क्या बचपना है. मैंने कुछ नहीं सुना और विनय को पकड़ी रही. बारिश में भीगने का उसका मन नहीॆ था फिर भी मेरे साथ खड़ा रहा. हमने बारिश के पिछले कई किस्से याद किए जिसमे भुट्टे वाला किस्सा भी था. मुझे भुट्टे कभी अच्छे नहीं लगते थे पर विनय का आधा खाया हुआ भुट्टा मानो मेरे लिए हर्बल टैबलेट जैसा था जिसको खा कर मैं पतली हो जाउंगी. बाद में जब विनय को मैंने ये बताया तो वो जोर-जोर से हंस पड़ा. वैसे सच ही कहा जाता है मॉनसून लोगों को प्यार करना सिखा देता है, विनय को मेरी कई सारी इम्पेर्फेक्ट चीजों से और मुझे विनय के फेवरेट भुट्टे से. मेरी बातें कभी ख़त्म न होती, अगर मुझे विनय टोकता नही. चलो अब वापिस. मन नहीं था पर जाना पड़ा. मैं कार में आराम से बैठ गयी और विंडो से बाहर देखते हुए आँखे बंद कर ली.
अचानक से मुझे तेज झटका लगा और सॉरी मैडम… की आवाज आई. ये आवाज विनय की नहीं थी. मैंने तेजी से आँखे खोली तो नजारा ही कुछ और था. ड्राइविंग सीट पर कैब ड्राईवर था. मैंने बाहर देखा, चारों तरफ पानी भरा हुआ था और ऐसा ट्रैफिक जो होश उड़ा दे. मैं ड्रीमलैंड से उठकर रियलिटी में आ गयी थी. मैंने घड़ी देखी तो ऑफिस के लिए एक घंटा लेट. इस सुहावने बारिश के मौसम से चिड़ होने लगी थी. इस समय मुझे बारिश में असली मुंबई के दर्शन हुए थे. कैब का पिछला पहिया एक गड्ढे में पूरी तरह से फसा हुआ था. इसमें पीछे से तेज हॉर्न की आवाज. पीछे खड़े लोगों को देख के भी कुछ समझ नहीं आ रहा था और जंगली की तरह हॉर्न देने में लगे हुए थे. कोई मदद को नहीं आ रहा बस सब चिल्लाने में लगे थे कि गाड़ी आगे बढाओ. जैसे-तैसे कार उस गड्ढे से निकली. बहुत लम्बा ट्रैफिक था. ड्राईवर ने बताया की आगे बिजली का खम्बा गिरा हुआ है. जिसमें करंट से कुछ लोग मर गए हैं. कहीं दूर पर एक एक्सीडेंट भी हुआ है, जिसकी वजह से ट्रैफिक रुक गया है. खतरा चारों तरफ था शुक्र है, उस ड्राईवर का की मुझे बिना किसी नुक्सान के ऑफिस पहुंचा दिया था.
मेरे दिमाग में अब विनय के साथ रोमांटिक मौसम नहीं बल्कि मुंबई की सड़क और सरकार घूम रही थी. आपको नहीं लगता हमारे ज़रिए फैलाई हुई असुविधाओ पर हम प्रकृति पर दोष देते है. अगर ऐसे में हम थोड़ा सा सैय्यम दिखा दे और अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाए तो प्रॉब्लम बढ़ने के बजाए कम होगी. बारिश में अक्सर एक्सीडेंट क्यों हो जाते हैं, कहीं बाइक फिसलती है, बिजली पोल टूटते हैं, इन सब से बचने के लिए हम ऐसा क्या करें जिससे ऐसी हालत में पड़ने से बच जाए?
कुछ देर बाद ऑफिस में लंच टाइम हो गया था मैं एक बड़ी सी बिल्डिंग के बारहवे माले की बालकनी में खड़ी हुई थी ऊपर मुझे बहुत ही सुन्दर मौसम और कुछ दूर नीचे देखू तो इस मौसम में लोगों की प्रॉब्लम.
मन बहुत दुखी था तभी मेरा एक सहकर्मी आया और मौज लेन के मूड से बोला.. क्या हुआ मैडम! इतना अच्छा मौसम और आप इतनी उदास क्यों? मुझे पता था यहां समझाना फिजूल था. मेरे एक के समझाने से क्या बदलेगा… तो हंस के बोल दिया मेरी बारिश मुझे ऑफिस में एक घंटा लेट और छ सौ साठ रुपए महँगी पड़ी.
ये तो था मेरी बारिश का किस्सा थोड़ा रोमांटिक और ज्यादा खतरनाक. अब आप हमे बताइए आपकी बारिश की कहानी क्या कहती है?