ऑफिस लाइव !…यहां काम करना नहीं आसान
वैसे तो कहा जाता है कि इन दिनों लिंग भेद जैसे मुद्दों के लिए ऑफ़िसेस में कोई जगह नहीं है, पर अब भी अनदेखा लिंगभेद है, जो महिलाओं को सफलता की सीढ़ियां चढ़ने में बाधा उत्पन्न करता है.
ऑफिस लाइव !….यहां काम करना नहीं आसान
आजकल हम सभी की दुनिया ‘इंडिपेंडेंट’ शब्द के इर्द-गिर्द ही घूमती है. महिला हो या पुरुष अगर आप एकोनोमिकली इंडिपेंडेंट हैं फिर तो आपकी लाइफ आसान है. घर से निकल कर काम करना पुरुष के लिए जितना जरूरी हैं उतना ही एक महिला के लिए भी है. एक महिला में इंडिपेंडेंट और वर्किंग जैसे गुण हैं, तो वो आज के जमाने के साथ चल रही हैं. अक्सर पुरुषो की अपेक्षा महिलाओं का मन काम में ज्यादा लगता है. मन लगाकर अपना काम करना अच्छी बात है. पर, अगर आपकी नौकरी आपकी सेहत पर हावी हो जाए तो ये बात ठीक नहीं है.
इस कॉमपिटीशन वाले दौर में नौकरी पाना और उसे बचाए रखना बहुत ही अहम हो गया है और इसी चक्कर में ऑफिस में कई सारी चीजें शुरू हो जाती है, जो आपके सामने मुसीबत और स्ट्रेस बन के खड़ी हो जाती हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाएं ऑफिस की ऐसी कई समस्याओं का शिकार हो जाती हैं जो उनके काम और सेहत के साथ ही साथ लाइफ पर भी बुरा असर करती है. ऐसी स्थित से बचे रहना अच्छा है और ये कोई मुश्किल काम नहीं है. बस आपको इन चीजों को समझना होगा और फिर आप स्ट्रेस – फ्री वर्क कर सकती हैं.
बेवजह वाली नजदीकियां
महिलाएं जैसे-जैसे पुरुषों की वर्किंग फील्ड में ताकतवर होती गईं, वर्कप्लेस पर पुरुषों के अनुकूल नियम-कायदे कमजोर पड़ने लगे. लेकिन माहौल में ज्यादा बदलाव नहीं आया है. हर इंडस्ट्री में अब भी पुरुष ही ज्यादा ताकतवर हैं और उनके खिलाफ आवाज उठाना मुश्किल है. महिलाओं को बताया जाता है कि सबके लिए चुनौतियां एक जैसी हैं. लेकिन जब पुरुष गलत व्यवहार करते हैं और आसपास के लोग जानते भी हैं, तब भी उनके लिए मुंह खोलना मुश्किल होता है, क्योंकि अक्सर लोग इसे गलत मानने को राजी नहीं होते. आप ऑफिस के 8 घंटों में काम के साथ-साथ किसी को पूरी तरह समझने का दावा नहीं कर सकते. ऐसे में कई महिलाएं ऑफिस में शोषण के अलावा उत्पीड़न का शिकार हो जाती हैं. कई बार ऑफिस में महिलाओं पर तंज कसकर उन्हें न केवल मानसिक रूप से उत्पीड़ित किया जाता है, बल्कि कई महिलाएं तो यौन उत्पीड़न का भी सामना करती हैं. अगर आपको ऐसे हैरसमेंट से बचना हैं तो सबसे पहले उन लोगों को पहचाने जो बेवजह आपसे नजदीकियां बना रहें हैं. और उनसे दूर रहना ही ठीक है.
सोच-समझ कर करें तरफदारी
अक्सर आपके सहकर्मी बिना किसी बात के आपकी बेवजह तरफदारी करने लगते हैं और उस मौके पर बिना कोई एक्शन लिए आप बात को टाल देते हो, वहीं पर गलतफहमी बढ़ जाती है. यहीं से आप लोगों की आँखों में खटकने लगते हैं और ऑफिस पॉलिटिक्स का हिस्सा बन जाती हैं.
कभी भी किसी एक की बात सुनकर दूसरे को गलत न कहें. कई बार कुछ लोग आपसे सारी बातें पूछकर दूसरों को गलत मेसेज पहुंचा देतें हैं. जिससे ऑफिस में आपकी इमेज गलत बनने में देर नहीं लगती. इसलिए किसी भी व्यक्ति की तरफदारी करने से बचें. यह आपको ऑफिस की गंदी पॉलिटिक्स में फंसा सकता है. आपको बता दूं सभी सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में एक एंटी हैरेसमेंट सेल बनाया जाता है जहां पर आप अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं. इसमें आपको लिखित में अपनी शिकायत देनी पड़ती है. ये सेल आपकी शिकायत दर्ज करता है और यह ऑफिस के मुख्य अधिकारी तक जाती है.
कभी भी ऑफिस में आपको किसी की बात से असहज महसूस हो, किसी का आपकी इच्छा के खिलाफ छूना या छूने की कोशिश करना, फिजिकल रिलेशनशिप बनाने की मांग करना, अश्लील मेसेज करना, अश्लील बातें करना या फिर अश्लील वीडियो भेजने पर भी आप उसकी शिकायत कर सकती हैं. इतना ही नहीं अश्लील इशारे करना, आपको प्रमोशन के लिए ये बोलना कि आप बहुत आकर्षक दिखती हैं, ये भी यौन उत्पीड़न में आता है. इस पर भी आप शिकायत कर सकतीं है. शिकायत करने के बाद जिसके खिलाफ शिकायत दर्ज हुई है उससे लिखित माफी, चेतावनी, प्रमोशन या वेतन वृद्धि रोकना और नौकरी से निकाला भी जा सकता है.
लिंगभेद की हक़ीक़त
वैसे तो कहा जाता है कि इन दिनों लिंग भेद जैसे मुद्दों के लिए ऑफ़िसेस में कोई जगह नहीं है, पर अब भी अनदेखा लिंगभेद है, जो महिलाओं को सफलता की सीढ़ियां चढ़ने में बाधा उत्पन्न करता है. चाहे महिला कितनी ही क्वॉलिफ़ाइड या अपने काम में कुशल क्यों न हो, वो कभी न कभी इस तरह के भेदभाव से होकर गुज़रती ही है. ऐसे में अगर किसी कंपनी में कोई महिला ऊँची पोस्ट पर है तो एक पुरुष का ईगो बढ़ जाता है कि कैसे एक महिला उन पर लीड कर रही है. ऐसे में जब उसे एक महिला प्रबंधक को रिपोर्ट करना पड़ता है तो एक महिला को पुरुष ईगो का सामना करना पड़ता है. एक शोध के अनुसार दस में से हर चार महिला अपने पुरुष सहकर्मी जितनी योग्य होने के बावजूद वेतन और पद के मामले में पीछे रह जाती है.
मेहनत दोगुनी लेकिन प्रमोशन कहीं नहीं
आज पुरुष और महिलाएँ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं, लेकिन लिंग आधारित भेदभाव अब भी मौजूद है. आमतौर पर जब सीनियर लेवल पर जॉब ओपनिंग्स होती हैं तो महिलाओं को इम्पोर्टेंस नहीं दी जाती है. महिलाओं को जल्दी प्रमोशन इसलिए नहीं दिया जाता कि वो अपने काम के लिए ज्यादा समय और पूरी शिद्दत के साथ काम नहीं कर पाएंगी. संस्थाओं को समझना चाहिए कि महिलाएं किसी भी संस्था के प्रति पुरुषों की तुलना में अधिक लॉयल होती हैं. आमतौर पर पुरुषों की तुलना में वे किसी भी कंपनी में लंबे समय तक टिके रहने को प्राथमिकता देती हैं
सैलरी में डिफरेंस
हम पहले ही बता चुके हैं कि महिलाओं के साथ अक्सर उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में वेतन के मामले में भेदभाव किया जाता है. जिसके लिए महिलाएं कई तरह से कोशिश करती हैं. जैसे- अपने काम को बढ़ाकर, दूसरों की काम में मदद करना. इतना ही नहीं छुट्टियों के दिन भी काम को पूरी शिद्दत के साथ करतीं हैं फिर भी सैलरी का आंकड़ा अभी भी मेल ऑफिसर का ज्यादा रहता है.
मैटरनिटी ब्रेक के बाद आसानी से नहीं मिलता दूसरा मौका
एक महिला के करियर के रास्ते में ऐसा वक़्त आ ही जाता है जब वो खुद को दोराहे पर खड़ा पाती है. इस समय वो ना तो खुल के ख़ुशी एन्जॉय कर सकती है और ना ही अपना दुःख किसी को बता सकती है. मैटरनिटी ब्रेक के बाद दोबारा करियर की शुरुआत करना आसान नहीं होता. जिम्मेदारियों के साथ ही कंपनी की पॉलिसी भी उनके लिए बदल जाती है. प्रेगनेंसी वाली स्थिति में ऑफिस में आठ-आठ घंटे बैठने में काफी असुविधा होती है. उस पर ऑफिस की मीटिंग और वर्क प्रेशर, मूड स्विंग्स से लेकर कई सारी हेल्थ प्रॉब्लम से भी आपको अकेले ही जूझना पड़ता है. बहुत सी कंपनी में ऐसी पालिसी भी होती हैं जिसमें कुछ समय का ब्रेक दिया जाता है लेकिन ब्रेक के बाद उनकी पोस्ट और काम दोनों में ही अंतर आ जाता है. जिसमें एक महिला को अपना काम शुरू से शुरू करना पड़ता है.
तो ऐसे अगर आप को ये लगता है कि एक महिला के लिए ऑफिस का काम करना बहुत आसान है तो आप यहां गलत है. एक महिला को आज के दौर में भी अपने काम के साथ काफी समझौते करने पड़ते है लेकिन समझदारी के साथ किये गए समझौते आपको अपने करियर में आगे बढ़ने के कई मौके देतें है.